आगे जो कविता दी गई है उसके द्वारा हम न केवल सफलता प्राप्त कर सकते हैं बल्कि समाज में बहुत कुछ बन सकते हैं और हम प्रेरणा ले सकते हैं हम इन छोटी सी कविता के माध्यम से ही बहुत कुछ हासिल कर सकते है इसी आशा के साथ मेै इस कविता को प्रस्तुत कर रहा हू पथ मेरा आलोकित कर दो।
नवल प्रात की नवल रश्मियों से
मेरे उर का तम हर दो।।
मैं नन्हा सा पथिक विश्व के
पथ पर चलन सीख रहा हूँ ,
मैं नन्हा सा विहग विश्व के
नभ में उड़ना सीख रहा हूँ ।
पहुँच सकूँ निर्दिष्ट लक्ष्य तक
मुझको ऐसे पग दो, पर दो।।
पाया जग से जितना अब तक
और अभी जितना मैं अब तक
पाया जग से जितना अब तक
और अभी जितना मैं पाऊँ,
मनोकामना है यह मेरी
उससे कहीं अधिक दे जाऊँ।
घरती को ही स्वर्ग बनाने का
मुझको मंगलमय वर दो।।
------ द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
नवल प्रात की नवल रश्मियों से
मेरे उर का तम हर दो।।
मैं नन्हा सा पथिक विश्व के
पथ पर चलन सीख रहा हूँ ,
मैं नन्हा सा विहग विश्व के
नभ में उड़ना सीख रहा हूँ ।
पहुँच सकूँ निर्दिष्ट लक्ष्य तक
मुझको ऐसे पग दो, पर दो।।
पाया जग से जितना अब तक
और अभी जितना मैं अब तक
पाया जग से जितना अब तक
और अभी जितना मैं पाऊँ,
मनोकामना है यह मेरी
उससे कहीं अधिक दे जाऊँ।
घरती को ही स्वर्ग बनाने का
मुझको मंगलमय वर दो।।
------ द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
Good poem. . .Motivating poem for children at primary level. . Such poems should be included in different curriculum.
ReplyDeleteArth
Deleteरात
ReplyDeleteQuestion answer
ReplyDeleteKavi kisko kavita Sambodit Kar RHA hai
ReplyDeleteIn ending line it's dharti not Gharti
ReplyDeleteYou bloody fool